Jammu Kashmir के जंगलों में शुरू हुआ ‘Operation Catch & Hunt’ – क्या अब बच पाएंगे आतंकी?
क्या आपने कभी सोचा है कि पहाड़ों और घने जंगलों के बीच जब मौत का शिकारी निकले, तो आतंकियों की क्या हालत होती है? जम्मू-कश्मीर में कुछ ऐसा ही मंजर देखने को मिल रहा है, जहां ‘ऑपरेशन कैच एंड हंट’ ने दहशतगर्दों की नींद उड़ा दी है। पहलगाम हमले के बाद से पूरे इलाके में सुरक्षा बलों का सबसे बड़ा और खतरनाक ऑपरेशन शुरू हो गया है। सवाल ये है – क्या अब कोई आतंकी बच पाएगा?
ऑपरेशन Catch & Hunt क्यों है इतना ज़रूरी?
पिछले कुछ समय से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में अचानक इज़ाफा हुआ है, खासकर इंटरनेशनल बॉर्डर के पास के क्षेत्रों में। पहलगाम हमले ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया और उसी का जवाब है – ऑपरेशन Catch & Hunt। इस अभियान का मकसद है – हर एक आतंकी को खोज निकालना, चाहे वो किसी भी गुफा में छुपा हो।
कहां-कहां चल रहा है ऑपरेशन?
इस समय ऑपरेशन का फोकस घने जंगलों, पहाड़ी इलाकों, और बॉर्डर से लगे गांवों पर है। यहां की भौगोलिक स्थिति खुद एक चुनौती है – ऊंचे-ऊंचे पहाड़, गहरी खाइयां और घने जंगल जहां कुछ मीटर आगे देख पाना भी नामुमकिन हो जाता है।
जमीन से लेकर आसमान तक – हर मोर्चे पर घेराबंदी
इस ऑपरेशन को सिर्फ इंसानी ताकत से नहीं, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक और संसाधनों से भी लैस किया गया है:
- ड्रोन सर्विलांस: क्वाडकॉप्टर ड्रोन में लगे पीटीजेड HD कैमरे चप्पे-चप्पे की निगरानी कर रहे हैं।
- डॉग स्क्वाड: संदिग्ध ठिकानों की खोज में प्रशिक्षित डॉग्स को लगाया गया है।
- मोबाइल ट्रैकिंग डिवाइस: हर जवान के पास ऐसे डिवाइस हैं जो संदिग्ध गतिविधियों को तुरंत रिकॉर्ड कर लेते हैं।
कौन चला रहा है ये खतरनाक ऑपरेशन?
इस ऑपरेशन की कमान संभाल रहे हैं स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के बहादुर जवान, जिन्हें आतंकियों का शिकारी कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के ये जवान पिछले कई वर्षों से आतंक के खिलाफ फ्रंट लाइन पर डटे हैं और कई बड़े आतंकियों को मार गिराया है।
क्या आतंकियों की वापसी अब नामुमकिन है?
इस सवाल का जवाब है – हां। SOG और आर्मी ने ऑपरेशन की रणनीति इस तरह तैयार की है कि कोई भी आतंकी इन जंगलों से जिंदा बाहर न जा सके। हर गुफा, ढोक, और खाली मकान को खंगाला जा रहा है ताकि कोई भी सुरक्षित पनाहगाह न बच सके।

आतंकियों के पुराने रास्ते भी हो गए हैं अब खतरनाक
एलओसी से लगते इलाके हमेशा से आतंकियों की पारंपरिक घुसपैठ के रास्ते रहे हैं। नदी, नाले और जंगलों के सहारे वो कई बार सफल भी रहे। लेकिन इस बार ऑपरेशन कैच एंड हंट ने इन सभी रास्तों पर प्वाइंट टू प्वाइंट ट्रैकिंग शुरू की है। यानी अब कोई भी हरकत छिप नहीं पाएगी।
सुरक्षा बलों की रणनीति – एक-एक कर साफ होगा हिसाब
जवानों की रणनीति बिल्कुल साफ है:
- पहले ड्रोन से इलाके की मैपिंग।
- फिर डॉग स्क्वाड और स्पेशल फोर्स की जमीनी घेराबंदी।
- संदिग्ध इलाकों में ऑन द स्पॉट एक्शन।
जैसे ही कोई मूवमेंट नजर आती है, तुरंत कार्रवाई होती है।
क्या ये ऑपरेशन आखिरी चोट है आतंक पर?
देखा जाए तो ऑपरेशन कैच एंड हंट सिर्फ एक तलाशी अभियान नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ एक निर्णायक युद्ध है। यहां कोई समझौता नहीं, कोई रहम नहीं – सिर्फ कार्रवाई है।
निष्कर्ष: अब हर आतंकी की होगी हिसाब-किताब की बारी
ऑपरेशन कैच एंड हंट और ऑपरेशन सिंदूर जैसे सख्त और स्मार्ट मिशन ये साफ संकेत देते हैं कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देगा, बल्कि पहले ही हमला कर आतंक को खत्म करेगा।
जम्मू-कश्मीर में चल रहा यह ऑपरेशन आतंक के खिलाफ एक बहुत ही ठोस और निर्णायक कदम है। SOG और आर्मी की यह रणनीति साफ संकेत देती है कि अब न आतंकियों को पनाह मिलेगी और न ही मौका। जंगलों के अंदर छुपे वो चेहरे अब कैमरों में कैद हो चुके हैं, और उनके लिए निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा।
आपका क्या मानना है – क्या ये ऑपरेशन आतंक के लिए आखिरी चोट साबित होगा? नीचे कमेंट करें और अपनी राय ज़रूर साझा करें।